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अर्नब गोस्वामी के साथ कोर्ट में क्या-क्या हुआ?

महाराष्ट्र में अलीबाग़ के ज़िला न्यायालय ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्नब गोस्वामी को दो अन्य अभियुक्तों के साथ 18 नवंबर तक के लिए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. कोर्ट ने ये फ़ैसला रात में छह घंटे चली लंबी सुनवाई के बाद लिया. रायगढ़ पुलिस ने बुधवार सुबह अर्नब गोस्वामी और दो अन्य लोगों को मुंबई में 52 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक को ख़ुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में गिरफ़्तार किया गया था. अर्नब को मुंबई से गिरफ़्तार किया गया था और बाद में उन्हें रायगढ़ ज़िले के अलीबाग़ ले जाया गया. कोर्ट में क्या हुआ? मुंबई और रायगढ़ में हुए हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद अर्नब गोस्वामी को बुधवार दोपहर क़रीब एक बजे अदालत में पेश किया गया. अदालत के अंदर जाने के बाद अर्नब ने पुलिस पर उनके साथ मारपीट करने का आरोप लगाया. अदालत ने आदेश दिया कि अर्नब की दोबारा मेडिकल जाँच कराई जाए. आदेश के अनुसार जाँच कराई गई. इसके बाद पुलिस ने उन्हें फिर से कोर्ट के सामने पेश किया. सरकारी वक़ील, पुलिस और अर्नब गोस्वामी ने कोर्ट के सामने अपना-अपना पक्ष रखा. डॉक्टर की ऑब्ज़र्वेशन को भी ध्यान में रखा गया. दोबारा की गई जाँच की मेडिकल रिपोर्ट पर डेढ़ घंटा सुनवाई चली. दोबारा मेडिकल जाँच कराने के बाद अर्नब को जब कोर्ट में पेश किया गया तो कोर्ट ने उन्हें सीधे खड़े रहने और अजीबो-ग़रीब हाव-भाव ना बनाने के लिए कहा. अदालत की इस चेतावनी के बाद अर्नब शांति से बैठे रहे. जबकि पहले कोर्ट के अंदर आते ही वो चिल्ला रहे थे और दावा कर रहे थे कि पुलिस ने उन्हें मारा. और उनके रिश्तेदार इस पूरी घटना को रिकॉर्ड करने में व्यस्त थे. अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी को इमरजेंसी के दौर से जोड़ने पर बहस अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया सरकारी वकील ने पुलिस हिरासत की माँग की. अर्नब के वकील ने आरोप लगाया कि पूरी जाँच बेबुनियाद है, वहीं रायगढ़ पुलिस का आरोप था कि अर्नब जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने सुबह गिरफ़्तारी का भी विरोध किया. इसलिए उनके ख़िलाफ़ एक और एफ़आईआर दर्ज की गई है. हालाँकि अदालत ने पुलिस की ओर से रखे गए तथ्यों पर विचार करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि पुलिस हिरासत के लिए ठोस सबूतों की ज़रूरत होती है, जो पुलिस पेश नहीं कर सकी. इसलिए अदालत ने पुलिस हिरासत की अपील ख़ारिज कर दी और तीनों अभियुक्तों - अर्नब, फ़िरोज़ शेख़ और नितेश सारदा -को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अर्नब गोस्वामी ने ज़मानत की अर्ज़ी लगाई है. उनके वकील गौरव पारकर ने अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा कि न्यायिक हिरासत का आदेश उनके मुवक़्क़िल के लिए एक बड़ी जीत है. अर्नब गिरफ़्तारी : मृतक के परिवार ने लगाए गंभीर आरोप क्या है पूरा मामला दो साल पहले 52 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक और उनकी माँ कुमुद नाइक ने कथित तौर पर ख़ुदकुशी कर ली थी. वो मई 2018 में अलीबाग़ तालुका के कवीर गाँव में अपने फार्महाउस पर मृत मिले थे. अन्वय नाइक ने अपने ख़ुदकुशी नोट में आरोप लगाया था कि वो और उनकी माँ ने इसलिए जीवन ख़त्म करने का फ़ैसला लिया क्योंकि अर्नब के साथ फ़िरोज़ शेख और नितेश सारदा ने 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया था. फ़िरोज़ और नितेश अलग-अलग फ़र्म के मालिक थे. 2019 में रायगढ़ पुलिस ने इस मामले को बंद कर दिया था. बाद में नाइक की बेटी अदन्या की शिकायत पर महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने फिर से इस केस की जाँच का आदेश दिया था. अर्नब की गिरफ़्तारी के साथ ही बुधवार को ही पुलिस ने उस अधिकारी को भी गिरफ़्तार कर लिया जिसने ख़ुदकुशी के लिए उकसाने के मामले की जाँच की थी. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उस अधिकारी को भी जाँच का सामना करना पड़ेगा. अर्नब गोस्वामी के साथ उनकी पत्नी और दो अन्य के ख़िलाफ़ मुंबई पुलिस ने गिरफ़्तारी में अड़चन डालने के मामले में एफ़आईआर दर्ज की है. अर्नब की गिरफ़्तारी को लेकर विपक्ष ने महाराष्ट्र की सरकार पर हमला बोला है जबकि इंटीरियर डिज़ाइनर के परिवार ने गिरफ़्तारी के फ़ैसले का स्वागत किया है और कहा है कि वो साल 2018 को कभी नहीं भूल सकते. हालांकि शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई का महाराष्ट्र सरकार से कोई संबंध नहीं है.

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